Aditya L1 Mission : आदित्य एल 1 मिशन क्या है, लांच तिथि, बजट,फुल, फॉर्म, कब लांच होगा, इसरो (ADITYA-L1 Mission) (‘Suryayaan 1’ Mission Launch Date, News, Launch Time, Mission ISRO) aditya l1 mission in hindi, Aditya L1 Mission Kya Hai?
भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा- मैं आदित्य-एल1 मिशन लिए पीएसएलवी को बधाई देता हूं. अब से, मिशन अपनी यात्रा शुरू करेगा. यह लगभग 125 दिनों की बहुत लंबी यात्रा है. बता दें कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. इसरो ने कुछ देर पहले ही यह जानकारी दी थी.
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आदित्य एल1 मिशन क्या है? Aditya L1 Mission Overview
ओपरेटर Operator | ISRO इसरो |
Name of the Mission | Aditya L1 Mission |
लॉन्चर Launcher | PSLV-C57 |
Aditya L1 Mission Launched On? | 02nd September, 2023 |
ADITYA-L1 Payloads | Please Read the Article Completely. |
About ADITYA-L1 Mission
आदित्य-एल1. The vehicle has placed the satellite precisely into its intended orbit. आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है।
इस मिशन को बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) ने तैयार किया है. इसरो के मुताबिक, आदित्य L-1 अपने साथ फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा. इनमें से 4 पेलोड सूरज पर नज़र रखेंगे, बाकी 3 एल-1 पॉइंट के आसपास का अध्ययन करेंगे.
यहां जानिए इस मिशन से जुड़ी वो हर छोटी-बड़ी बात जो आपके लिए जानना जरूरी है.
क्यों इस मिशन को नाम दिया गया आदित्य-L1 (Why was this mission named Aditya-L1)
L1 का मतलब ‘लाग्रेंज बिंदु 1’ है. कोई लाग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में वो स्थान हैं, जहां दो बड़े पिंडों (सूर्य-पृथ्वी) का गुरुत्वाकर्षण आपस में बैलेंस हो जाता है. एक प्रकार से लाग्रेंज बिंदु किसी अंतरिक्ष यान के लिए पार्किंग स्थल का काम करते हैं. यहां किसी यान को वर्षों तक रखकर तमाम परीक्षण किए जा सकते हैं और कई जानकारियां जुटाई जा सकती हैं. चूंकि सूर्य का दूसरा नाम आदित्य है, इसका लक्ष्य L1 तक पहुंचना है, इसलिए इस मिशन को आदित्य एल-1 का नाम दिया गया है. आदित्य-एल 1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली स्पेस बेस्ड इंडियन लेबोरेट्री होगी. आदित्य-एल1 मिशन, जिसका उद्देश्य L1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.
आदित्य L1 का उदेश्य (Purpose of Aditya L1)
- सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना.
- क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना.
- सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना.
- कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना.
- सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना.
क्या है L1 पॉइंट (What is L1 point?)
दरअसल धरती से सूरज की दूरी तकरीबन 15 करोड़ किलोमीटर है. इस दूरी के बीच पांच लैग्रेंज पॉइंट्स हैं. इन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 पॉइंट के नाम से जाना जाता है. इनका नाम 18वीं सदी के इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है. L1, L2, L3 स्थिर नहीं है. इनकी स्थिति बदलती रहती है. जबकि L4 और L5 पॉइंट स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं. L1 इसका पहला पॉइंट है, जो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है. L1 पॉइंट को लैग्रेंजियन पॉइंट, लैग्रेंज पॉइंट, लिबरेशन पॉइंट या एल-पॉइंट के तौर पर जाना जाता है.
आदित्य L 1 कब तक पहुंचेगा? – When will Aditya L1 reach?
निर्धारित योजना के तहत Aditya L1 लगातार 4 माह की लम्बी व अनवरत यात्रा के दौरान 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करते हुए एल – 1 प्वाईंट तक पहुंचेगा जिसको लेकर जारी होने वाले प्रत्येक अपडेट की हम, आपको जानकारी प्रदान करेगे।
धरती से एल-1 तक कैसे यात्रा करेगा अंतरिक्ष यान – How will the spacecraft travel from Earth to L-1?
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को शनिवार 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. इसे लॉन्च करने के लिए पोलर सैटेलाइट व्हीकल (PSLV-C57) का इस्तेमाल किया जाएगा.
- पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए लॉन्च करने के बाद इसरो इसे धरती की निचली कक्षा में स्थापित करेगा.
- कुछ मैन्यूवर्स के जरिए आदित्य-एल 1 की कक्षा को बढ़ाया जाएगा और ऑन-बोर्ड प्रोपल्शन का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को एल1 बिंदु की ओर ले जाया जाएगा.
- L1 की ओर यात्रा करते समय, आदित्य L1 पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा. एक बार इससे बाहर निकलने के बाद, इसका ‘क्रूज स्टेप’ शुरू हो जाएगा.
- इस फेज में स्पेसक्राफ्ट बहुत आसानी से यात्रा पूरी करेगा. इसके बाद इसे L1 के चारों ओर एक बड़ी
- Halo Orbit में स्थापित कर दिया जाएगा. यहां तक पहुंचने में इसे करीब 4 महीने का समय लगेगा.
- आदित्य L-1 अपने साथ फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा. इनमें से 4 पेलोड सूरज पर नज़र रखेंगे, बाकी 3 एल-1 पॉइंट के आसपास का अध्ययन करेंगे.
FAQ’s – Aditya L1 Mission Kya Hai
Q : आदित्य मिशन में l1 क्या है?
Ans : संस्कृत में आदित्य का अर्थ सूर्य है। यहां L1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट 1 को संदर्भित करता है। सामान्य समझ के लिए, L1 अंतरिक्ष में एक स्थान है जहां सूर्य और पृथ्वी जैसे दो खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल संतुलन में हैं।
Q : आदित्य L1 मिशन कब लॉन्च हुआ?
Ans : 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।
Q : आदित्य L1 पृथ्वी से कितनी दूर होगा?
Ans : आदित्य एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर तैनात किया जाएगा।
Q : आदित्य एल1 क्यों लॉन्च किया?
Ans : मिशन सूर्य के वायुमंडल का अध्ययन करेगा और वैज्ञानिकों को यह बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा कि सूर्य कैसे काम करता है और यह पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित करता है।