Budget 2024 : बजट 2024 से जुड़े दिलचस्प पहलू जानें, बजट को समझना हो जाएगा आसान

Interim Budget 2024
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Budget 2024 ये जानना बहुत ही रोचक है के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार अपने सूटकेस में क्या नया ले के आएँगे। सत्र 2024 का केंद्रीय बजट या आम बजट इस बार क्या हम सब के लिए क्या लाया है, आइए जानते हैं।

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Interim Budget 2024: केंद्रीय बजट में किसी स्पेशल फाइनेंशियल ईयर के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण होता है. बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित किया जाता है, जो अगले वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है. वहीं अंतरिम बजट चुनावी साल में पेश किया जाता है. यह व्यवस्था नई सरकार के गठन तक होती है. नई सरकार के गठन के बाद पूरा बजट पेश किया जाता है.

Budget 2024 बजट कैसे तैयार होता है?

बजट बनाने की प्रॉसेस की दिशा में पहले कदम के रूप में, केंद्रीय वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त संस्थाओं को सर्कुलर जारी कर आगामी FY के लिए अनुमान तैयार करने के लिए कहता है. इस सर्कुलर में मंत्रालयों को अपनी मांगें प्रस्तुत करने में मदद करने के लिए आवश्यक गाइडलाइंस के साथ-साथ स्ट्रक्चरल प्रपत्र भी शामिल होते हैं. सभी मंत्रालयों, केंद्रशासित प्रदेशों और ऑटोनॉमस बॉडी को अनुमान पेश करने के अलावा पिछले वर्ष की अपनी कमाई और खर्चों का खुलासा करना होता है.

बजट की जटिलताओं को समझने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए इन प्रमुख शब्दों को सही तरीके से समझना जरूरी है.

बजट एक व्यापक फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट है जिसमें फाइनेंशियल ईयर के दौरान सरकार के राजस्व और व्यय की रूपरेखा होती है. इस महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट की बारीकियों को समझने के लिए, कुछ प्रमुख शब्दों को समझना आवश्यक है जो देश के इकोनॉमिक लैंडस्केप को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit)

फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) सरकार के कुल खर्च और उसके कुल राजस्व के बीच के अंतर को दर्शाता है. इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार को किस हद तक पैसा उधार लेने की आवश्यकता है, जिसका ओवरऑल इकोनॉमिक हेल्थ पर प्रभाव पड़ता है.

रेनेव्यू रेसिप्ट्स (Revenue Receipts)

राजस्व प्राप्तियों (Revenue Receipts) में टैक्सेज, नॉन-टैक्स रेवेन्यू और ग्रांट के जरिए सरकार की इनकम शामिल है. सरकार के इनमक सोर्सेज के वैल्यूएशन के लिए इसको समझना महत्वपूर्ण है.

कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure)

पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) से मतलब सरकार के बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, मशीनरी और इन्वेस्टमेंट जैसी फिजिकल असेट्स को प्राप्त करने या बनाए रखने पर खर्च किए गए धन से है. यह लॉन्ग-टर्म इकोनॉमिक डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

डायरेक्टक और इनडायरेक्ट टैक्सेज (Direct and Indirect Taxes)

डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) सीधे व्यक्तियों और निगमों पर लगाए जाते हैं, जैसे इनकम टैक्स. वस्तु एवं सेवा कर (GST) की तरह वस्तुओं और सेवाओं पर इनडायरेक्ट टैक्स लगाए जाते हैं. अंतर जानने से टैक्स स्ट्रक्चर को समझने में मदद मिलती है.

वस्तु एवं सेवा कर (GST)

जीएसटी (GST) वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एक इंटीग्रेटेड इनडायरेक्ट टैक्स है. टैक्सेशन और रेवेन्यू कलेक्शन के प्रति सरकार के आउटलुक को समझने के लिए इसके इंप्लीकेशंस को समझना जरूरी होता है.

सब्सिडी (Subsidy)

सब्सिडी (Subsidy) स्पेसिफिक सेक्टर्स या व्यक्तियों को सपोर्ट देने के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली फाइनेंशियल मदद होती है. सरकार की प्रायरिटीज और इकोनॉमिक पॉलिसीज के वैल्यूएशन के लिए इस शब्द से परिचित होना महत्वपूर्ण है.

डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment)

डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment) में सरकारी स्वामित्व वाली संपत्तियों या पब्लिक सेक्टर के एंटरप्राइजेज में शेयरों की बिक्री शामिल होती है. यह मार्केट की डायनेमिक्स को प्रभावित करके और एफिशिएंसी को बढ़ावा देकर इकोनॉमिक लैंडस्केप को प्रभावित करता है.

सकल घरेलू उत्पाद (GDP)

जीडीपी (GDP) किसी देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापता है. जीडीपी में बदलाव ओवरऑल इकोनॉमिक परफॉर्मेंस को दर्शाता है, जिससे यह देश की समृद्धि पर बजट के प्रभाव को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक बन जाता है.

वित्तीय वर्ष (Financial Year)

वित्तीय वर्ष (Financial Year) वह अवधि है जिसके दौरान सरकार की फाइनेंशियल एक्टिविटीज को मापा जाता है. भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है. बजटीय आंकड़ों की सटीक व्याख्या के लिए इस शब्द की जागरूकता आवश्यक है.

राजस्व घाटा (Revenue Deficit)

रेवेन्यू डेफिसिट (Revenue Deficit) तब होता है, जब सरकार का कुल रेवेन्यू एक्सपेंसेज को छोड़कर, उसकी कुल रेवेन्यू रेसिप्ट्स से अधिक हो जाता है. यह दिन-प्रतिदिन के खर्चों को पूरा करने में कमी को उजागर करता है.

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