Chandrayaan 3 Details : चंद्रयान 3 मिशन क्या है, कैसे होगा, बजट, कौन जायेगा, लौन्चिंग, फायदे (Launch Place, Budget, Date and Time, Launching date, landing date, live news, live location, Benefit, Landing in moon south pole, Vikram & Pragyan, Chandrayaan 3 Moon Landing, Vikarn Lander Rover all facts, Chandrayaan3 Details, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान?, Chandrayaan 3 Details)
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भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग हो गई है. अब सबकी नजरें इस पर हैं कि मिशन चंद्र सतह पर क्या काम करेगा? अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर चलेगा।
चंद्रयान 3 की जानकारी – Chandrayaan 3 Details
“चंद्रयान-3” भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चलाया गया था और यह भारत का तीसरा चंद्रयान मिशन था। यह मिशन चंद्रमा की पोलर रीज़ पर बेठकर चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने का उद्देश्य रखता था। यह भारत की अंतरिक्ष शोध क्षमता का एक महत्वपूर्ण प्रमाण था।
- लॉन्च तिथि: चंद्रयान-3 का प्रक्षिपण 22 जुलाई 2019 को GSLV Mk III-M1 रॉकेट के साथ श्रीहरिकोटा से किया गया था।
- मुख्य उद्देश्य: इस मिशन का मुख्य उद्देश्य था चंद्रमा की दक्षिणी पोलर रीज़ की सतह का अध्ययन करना। इसके साथ ही यह मिशन चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की खोज करने का प्रयास करता था।
- प्रमुख उपकरण: चंद्रयान-3 में प्रमुख उपकरण एक रोवर था, जिसका नाम “विक्रम” था। विक्रम रोवर का काम था सतह पर उतरना और वहां से चंद्रमा की सतह की अध्ययन करना।
Chandrayaan 3 Details :
नाम (Name) | चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) |
लांच तारीख (Launch Date) | 14 जुलाई 2023 |
लैंडिंग की तारीख (Landing Date) | 23 अगस्त, 2023 |
मिशन | प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर, रोवर |
ओपरेटर | इसरो |
एक प्रोपल्शन मॉड्यूल वजन | 2,148 किलोग्राम |
एक लैंडर का वजन | 1723.89 किलोग्राम |
एक रोवर का वजन | 26 किलोग्राम |
लॉन्चर | LVM-3 |
इसरो द्वारा चंद्रयान की शुरुआत ISRO Chandrayaan Mission Start
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान मिशन की शुरुआत 2008 में की थी। यह भारत का पहला चंद्रमा मिशन था जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह का विज्ञान करना और उसकी समझ में मदद करना था। इस योजना की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के राज्य में साल 2003 में की गई, परंतु इस कार्य को पूरा होते-होते साल 2008 आ गया और उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत थे। 22 अक्टूबर साल 2008 को chandrayaan-1 का काम पूरा कर लिया गया और चेन्नई से लगभग 80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन स्पेस सेंटर के सानिध्य में लांच किया गया। यह एक ऐसी जगह है जहां से इसरो द्वारा सभी अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम दिया जाता है। सतीश धवन स्पेस सेंटर के पूर्व चीफ रह चुके हैं जिनके निर्देशों के अंतर्गत इस यान को लांच किया गया।
इसके बाद, चंद्रयान-2 मिशन का शुभारंभ 22 जुलाई 2019 को हुआ जिसमें विक्रम लैंडर और प्रग्यान रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंचने का प्रयास किया गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश विक्रम लैंडर की पहुंच में समस्या हो गई थी। हालांकि, रोवर प्रग्यान ने चंद्रमा की सतह पर अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया और वैज्ञानिक अनुसंधान करने का मौका प्रदान किया।
चंद्रयान मिशन ने भारत को अंतरिक्ष शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया और दुनिया भर में प्रशंसा प्राप्त की। यह मिशन वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीय योगदान की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है।
चंद्रयान 3 मिशन क्या है? What is Chandrayaan 3 Mission (Chandrayaan 3 Details)
प्रज्ञान रोवर में छह पहिए लगे हैं. इसमें पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए इंस्ट्रूमेंट लगे हैं. इनके जरिये चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना की जानकारी जुटाई जाएगी. आयनों और इलेक्ट्रॉनों से बने चंद्र सतह के प्लाज्मा के घनत्व को मापा जाएगा. चंद्रमा की थर्मल प्रॉपर्टीज यानी तापीय गुणों को मापा जाएगा. चंद्रमा पर सिस्मीसिटी यानी सतह के भीतर होने वाली हलचल (भूकंपीयता) को मापा जाएगा. रीगोलिथ (चंद्र परत) की संरचना और आवरण का अध्ययन किया जाएगा.
प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी और चट्टानों की जांच करेगा। यह ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों को मापेगा। सबसे खास बात यह है कि इस क्षेत्र पर पहले कभी कोई नहीं गया है। यह पहली बार है, जब किसी देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने का साहस किया है।
चंद्रयान 3 मिशन का उद्देश्य Objective of Chandrayaan 3
चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) मिशन के उद्देश्य के बारे में बात की जाए तो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ISRO के साइंटिस्ट दुनिया को इस बात से अवगत कराना चाहते हैं कि भारत दूसरे ग्रह पर आसानी से लैंडिंग कराने में सक्षम है और वह दूसरे ग्रह पर अपना रोवर भी चला सकता है। इसके अलावा chandrayaan-3 मिशन के उद्देश्य में चांद की सतह पर, वायुमंडल और जमीन के अंदर जो हलचल होती है उसका पता लगाने का उद्देश्य भी शामिल है।
चंद्रयान 3 की बनावट कैसी है Chandrayaan 3 Design
- प्रोपल्शन मॉड्यूल :- Chandrayaan-3 को तीन हिस्सों में बनाया गया है, जिसमें पहला प्रोपल्शन मॉड्यूल है। बताना चाहते हैं कि अंतरिक्ष मिशन पर जो यान जाता है उसका जो पहला हिस्सा होता है उसे प्रोपल्शन मॉड्यूल कहा जाता है। यह किसी भी स्पेश को उड़ने के लिए जो ताकत होती है उसे प्रदान करने का काम करते हैं।
- लैंडर मॉड्यूल :- इसके दूसरे हिस्से को लैंडर मॉड्यूल कहा जाता है जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही वह हिस्सा होता है जो चंद्रमा पर उतरता है। आपको यह भी जानना चाहिए की रोवर को चंद्रमा की सतह पर सही प्रकार से पहुंचाने की जिम्मेदारी इसी के द्वारा निभाई जाती है।
- रोवर :- chandrayaan-3 का सबसे आखरी और तीसरा हिस्सा रोवर को कहा जाता है। यह लेंडर की सहायता लेता है और चंद्रमा की सतह पर उतरता है और फिर वहां से जानकारी प्राप्त करके धरती पर इसरो के साइंटिस्ट को इंफॉर्मेशन सेंड करता है।
चंद्रयान 3 मिशन में कितना पैसा लगा Chandrayan 3 Budget
चंद्रयान 3 मिशन के लिए तकरीबन ₹615 करोड़ खर्च किए गए हैं, जिसका मतलब यह होता है कि 6 अरब तथा 15 करोड़ रुपए चंद्रयान 3 मिशन के लिए खर्च किए गए हैं। इस मिशन का जो सबसे कठिन भाग माना जाता है वह भाग है चंद्रमा की सत्तह पर इसे सही प्रकार से उतारना, क्योंकि साल 2019 में जब chandrayaan-2 मिशन को लांच किया गया था तो विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग की वजह से वह मिशन सक्सेसफुल नहीं हो पाया था। इसीलिए chandrayaan-3 कैलेंडर के थ्रस्टर्स में थोड़े से बदलाव किया गए हैं और इसमें ज्यादा एक्टिव सेंसर लगाए गए हैं।
चंद्रयान-3 का ‘प्रज्ञान रोवर’ चांद पर क्या करेगा What will Chandrayaan-3 ‘Pragyan Rover’ do on the moon?
23 अगस्त को शाम 6:04 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद पर सफलता पूर्वक लैंड हो गया, जिसके चलते भारत पहला ऐसा देश बन गया है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है. और चौथा ऐसा देश बन गया है जिसने चांद पर लैंडिंग की है. अब जब भारत के चंद्रयान-3 ने चांद पर लैंडिंग कर ली हैं तो इसके ठीक 4 घंटे के बाद इसके अन्दर से प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरा. और वहां पर वह 14 दिनों तक रिसर्च करेगा. आपको बता दें कि चांद का 1 दिन पृथ्वी के 28 दिन के बराबर है. अतः चांद पर 14 दिन दिन रहता है पर 14 दिन रात रहती है. इसलिए प्रज्ञान रोवर को दिन के समय में लैंड कराया गया है ताकि दिन के समय में यह 14 दिनों तक रिसर्च कर सके. क्योकि 14 दिन रात के समय में अँधेरे की वजह से रिसर्च करना मुश्किल होगी.
आइये अब जानते हैं कि प्रज्ञान रोवर चांद पर क्या करेगा –
- पानी की खोज :- सबसे पहले प्रज्ञान रोवर चांद पर पानी की खोज करेगा. यदि वहां पानी होता है तो इससे भविष्य में चांद पर जीवन होना आसान हो जायेगा.
- खनिज की जानकारी :- इसके पहले जिस देश ने चांद पर कदम रखा था उनका मानना था कि वहां खनिज हो सकते हैं. उसकी जानकारी भी प्रज्ञान रोवर द्वारा जुटाई जाएगी.
- मिट्टी की जानकारी :- चांद की मिट्टी की जानकारी भी रोवर द्वारा कलेक्ट की जाएगी.
- भारत के तिरंगे की छाप छोड़ेगा :- प्रज्ञान रोवर के 6 पहिये हैं जिसमें तिरंगे के 3 रंग हैं. रोवर चांद पर जहाँ-जहाँ चलेगा वहां पर तिरंगे की छाप के साथ ही इसरो के लोगो की भी छाप छोड़ता जायेगा. आपको बता दें कि रोवर 1 सेकंड में 1 सेंटीमीटर तक चलेगा.
- अन्य चीजें :- रोवर पर लगा हुआ कैमरा चांद पर मजूद चीजों की स्कैनिंग करेगा, वहां के मौसम का पता लगाएगा, भूकंप एवं गर्मी की जानकारी भी देगा. इसके साथ ही इसमें पोलेड लगाये गये हैं जोकि इसकी सतह की जानकारी बेहतर तरीके के दे पाएंगे.
चंद्रयान 3 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न Chandrayaan 3 Details Q&A
Q : chandrayaan-3 मिशन का बजट कितना है?
Ans : 615 करोड़
Q : चंद्रयान 3 कहां से लांच हुआ?
Ans : आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से
Q : chandrayaan-3 को किसने लांच किया?
Ans : इसरो ISRO
Q : क्या chandrayaan-3 मिशन सफल हुआ?
Ans : हा
Q : chandrayaan-3 मिशन कब लांच हुआ?
Ans : 14, जुलाई, 2023
Q: चंद्रयान-2 क्या है?
Ans: चंद्रयान-2 एक ऐसा यंत्र है जो चंद्र पर जाकर नई नई खोज करने वाला है जो पृथ्वी पर बैठे वैज्ञानिकों द्वारा संचालित किया जाएगा।
Q: चंद्रयान-2 किन लक्ष्यों को लेकर लॉन्च किया गया है?
Ans: चंद्रयान-2 के लॉन्च का मुख्य लक्ष्य चंद्रयान-1 द्वारा की गई अधूरी खोज को पूरा करना है। चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्र पर समतल रूप में रोवर को चला कर चंद्र पर मौजूद प्राकृतिक कणों का पता लगाकर वहां जीवन की खोज को सत्यापित करना है।
Q: चंद्रयान-2 को कितने यंत्रों द्वारा चंद्र पर ले जाया जाता है?
Ans: ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह के उचित आंकलन के लिए आठ वैज्ञानिक पेलोड ले जाता है और चंद्रमा के बाहरी वातावरण का अध्ययन करता है। लैंडर को सतह और उपसतह विज्ञान प्रयोगों के संचालन के लिए तीन वैज्ञानिक पेलोड द्वारा चाँद पर ले जाया जाता है। रोवर ने चंद्र की सतह के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने के लिए अपने अंदर दो पेलोड का समावेश किया हुआ है।
Q: ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर का मिशन जीवन कितने वर्षो का है?
Ans: चंद्रयान-2 को कई भागों में बांटा गया है जो एक अलग निर्धारित अवधि के अनुसार चंद्रमा पर जीवन की खोज करेगा। जैसे यदि बात करें लैंडर और रोवर की तो वह एक चंद्र दिन की अवधि तक चंद्र पर सर्वेक्षण करेगा। एक चंद्र दिन की अवधि से आशय पृथ्वी के 14 दिनों से है। ऑर्बिटर के खोज की समयावधि लगभग 1 वर्ष की होगी। चंद्रयान के ये सभी भाग चंद्र पर जीवन की खोज करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
Q: चंद्रयान-2 को कौन से वाहन के जरिए चंद्र तक लॉन्च किया गया है?
Ans: चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके- III एम 1 लॉन्च वाहन द्वारा लॉन्च किया गया है।
Q: चंद्रयान-2 कब लांच किया गया?
Ans: चंद्रयान -2 ऑनबोर्ड GSLV MkIII-M1 की लॉन्चिंग सभी वैज्ञानिक जांच परीक्षणों के बाद 22 जुलाई, 2019 को श्रीहरिकोटा से 14.43 बजे शुरू की गई।
Q: विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर कब उतरेगा?
Ans: वैज्ञानिकों की गणना के अनुसार विक्रम लेंडर की लैंडिंग चंद्रमा की सतह पर 6 सितंबर 2019 को तय की गई है।
Q: चंद्रमा की सतह पर यात्रा के लिए रोवर कितनी दूरी पर जा सकता है?
Ans: चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद रोवर लगभग आधा किलोमीटर की दूरी तक जा सकता है।
Q: चंद्रयान-2 मिशन की क्या चुनोती है?
Ans: चंद्रयान-2 मिशन की महत्वपूर्ण चुनोतियाँ
इसरो के अनुसार, चंद्रयान -2 चंद्रमा मिशन चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव का पता लगाना है।
चंद्रमा की सतह, उसके खनिज और तत्व की सामग्री, चंद्रमा और चंद्रमा की सतह पर पानी-बर्फ के होने का साबुत जुटाना।
Q: अंतरिक्ष यान लेंडर का नाम किसके नाम पर रखा गया है?
Ans: लैंडर को विक्रम के रूप में भी जाना जाता है। ISRO के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के पिता कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर ISRO ने लैंडर का नाम रखा है।
Q: विश्व भर में चांद की नर्म सतह पर जाने के लिए कितनी एजेंसियों द्वारा प्रयास किए गए हैं? उनमें से कितने प्रतिशत एजेंसियां चांद पर अपनी खोज को लेकर सफल हुई हैं?
Ans: विश्व भर में चांद की सतह पर पहुंचने के लिए लगभग 52 एजेंसियों ने अपने भरसक प्रयास किए हैं। चांद की सतह पर पहुंचने में लगभग 52% एजेंसियों ने ही सफलता प्राप्त की है।
Q: चंद्रमा का अध्ययन क्यों आवश्यक है?
Ans: विशेषज्ञों के अनुसार चंद्रमा का अध्ययन सौरमंडल के इतिहास को समझने और समय के परिवर्तन होते समय आने वाले बदलावों को समझने के लिए करना आवश्यक है। चंद्रमा के अध्ययन से हमें पृथ्वी से जुड़ी कई जानकारियां प्राप्त होती है साथ ही चंद्रमा पर मौजूद प्राकृतिक कणों की खोज करके उनका सर्वेक्षण करने में सहायता प्राप्त होती है।
Q: चंद्रमा पर क्या तापमान होता है?
Ans: चंद्रमा पर तापमान समय के हिसाब से बदलता रहता है। जैसे दिन के समय सूर्य के प्रकाश की वजह से चंद्रमा पर तापमान 130 ZingC होता है। वहीं जब रात का समय हो जाता है तो सूर्य अपनी दिशा बदल लेता है जिसकी वजह से चंद्रमा पर पहले से ठंडक हो जाती है उस समय चंद्रमा का तापमान 180C हो जाता है।
Q: क्या चांद पर कोई जीवन है?
Ans: विशेषज्ञों की मानें तो अभी तक चांद पर जीवन की खोज नहीं हो पाई है। परंतु बड़े बड़े वैज्ञानिक चांद पर जीवन की खोज में जुटे हुए हैं।
Q: हमें चंद्रमा का केवल एक ही पक्ष क्यों दिखाई देता है?
Ans: चंद्रमा एक ऐसा ग्रह है जो पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर 27.3 दिन, 12 घंटे और 44 मिनट में एक पूर्ण चक्कर लगाता है। वैज्ञानिकों की माने तो चंद्रमा को एक चक्कर पूरा करने में इतना समय इसलिए लगता है क्योंकि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे अपनी ओर खींचता है जिसकी वजह से उसकी गति धीमी पड़ जाती है। इसलिए पृथ्वी के किसी भी हिस्से पर जाकर देखने से हमें चंद्रमा का एक ही पक्ष नजर आता है।
Q: पृथ्वी चंद्रमा से कितनी दूरी पर है?
Ans: यदि एक निश्चित आंकड़े के रूप में देखा जाए तो पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 384000 किमी है। फिर भी यह बात अचंभित करने वाली है कि इतनी दूरी से भी चांद पृथ्वी तक अपनी ठंडक पहुंचाता है।
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